Sethu Snana vidhi

समुद्रस्नान विधि:

समुद्रतीरं गत्वा कुसुमाक्षतैरभ्यर्च्य

नमस्ते सलिलेशाय नमो गम्भीरमूर्तये |

नमो मेघनिनादाय नमस्ते परमात्मने ||

विविधाघुघनाशाय सुधागर्भाय ते नम: |

महानद्यधिनाथाय महारत्नोद्भवाय ते |

महातरङ्गनिर्घोष विलसत् विस्मयात्मने |

महाप्राणयधिनाथाय महावारिधये नम: ||

नमस्तूदधये तुभ्यं नमस्तुभ्यं सरस्वते |

नमोsम्बुराशये तुभ्यं पारावाराय ते नम: ||

इति समुद्रराजं प्रणमेत् | (शुद्धजलेन) आचम्य

ॐ नम: सदसे | नमस्सदसस्पतये नमस्सखीनां पुरोगानां चक्षुषे नमो दिवे नम: पृथिव्यै सप्रथसभां मे गोपाय ये च सभ्या: सभासद: तान् इन्द्रियावत: कुरु, सर्वमायु: उपासताम्  “सर्वेभ्य: श्रीवैष्णवेभ्यो नम:” इति श्रीवैष्णवान् प्रणम्य,

“अशेष हे परिषत् भवत् पादमूले मया समर्पिताम् इमां सौवर्णिं यत्किञ्चित् दक्षिणां यथोक्त दक्षिणामिव स्वीकृत्य __________ गोत्रस्य __________ शर्मण: मम जन्मप्रभृति एतत्क्षण पर्यन्तं संभावित बुद्धिपूर्वक-अबुद्धिपूर्वक-अकृत्यचरण-कृत्याचरण-अस्पृश्यस्पर्शन-अभक्ष्यभक्षण-अभोज्यभोजन-अपेयमान-अपाङ्क्तेय-सहभूजन-अप्रवेश्यप्रवेशन-असंभ्याष्यसंभाषणादि जनित भगवन्निग्रह संकल्पशान्ति द्वारा भगवत् प्रीत्यर्थं मम जन्मप्रभृति एतत्क्षण पर्यन्तं मनोवाक्कायै: ज्ञानत: अज्ञानतो वा मदनुष्ठितानां अकृत्यकरण-कृत्याकरणादिरूपाणां सर्वेषां पापानाम् अपनयद्वारा भगवत् प्रीत्यर्थं अशीत्युत्तरसहस्रकृच्छ्रफलप्रदानि षट्त्रिंशत् सख्याकानि समुद्रस्नानि यथार्हं दर्भशयनादि स्थलेषु कर्तुं योग्यतासिद्धिम् अनुग्रहाणेति अनुज्ञाप्य

त्रिभि: प्राणानायम्य  

स्वषेशभूतेन मया स्वीयै: सर्वपरिच्छदै: विधातुं प्रीतमात्मानं देव: प्रक्रमते स्वयम् | इत्युक्त्वा हरि:ॐ तत्सत् श्रीगोविन्द गोविन्द गोविन्देत्युक्त्वा..........

................. शुभतिथौ मम जन्मप्रभृति एतत्क्षण पर्यन्तं संभावित ............................ पापानां निर्हरणद्वारा भगवत्प्रीत्यर्थं षट्त्रिंशद्वारं समुद्रस्नानं करिष्ये इति संकल्प्य

पुन: प्राणानायम्य संकल्पितेषु प्रथमस्नानं करिष्ये इति पुन: संकल्प्य इमं मे वरुणेत्यादि वरुणं स्तुत्वा

     पिप्प्लादसमुत्पन्ने कृत्ये लोकभयङ्करी |

     पाषाणं ते मया दत्तम् आहारार्थे प्रकल्प्यताम् ||

इति मन्त्रेण पाषाणं दत्त्वा

     विश्वाची च घृताचे च विश्वयोने विशांपते |

     सान्निध्यं कुरु मे देव सागरे लवणाम्भसि ||

इति मन्त्रेणावाह्य

     नमस्ते विश्वगुप्ताय नमो विष्णवपां पते |

     नमो जलधिरूपाय नदीनां पतये नम: ||

इति मन्त्रेण समुद्राय वयुनायेतादि ऋचा च प्रणम्य

     सर्वरत्नमय श्रीमान्  सर्वरत्नाकराकर |

     सर्वरत्नप्रधान त्वं  गृहाणार्घ्यं महोदधे || इति अर्घ्यं दत्त्वा

     पृथिव्यां यानि तीर्थानि प्राविशंस्त्वां महोदधे |

     स्नातस्य मे फलं देहि सर्वस्मात् त्राहि मां हस: || इति प्रार्थ्य

     समस्तजगदाधार शङ्खचक्रगदाधर |

     देहि देव मयानुज्ञां  तव तीर्थनिषेवणे || 

इति भगवन्तमनुग्याप्य

     वेदादयो वेदवसिष्टयोनि सरित्पतिस्सागररत्नयोनि |

     अग्निश्च ते तेज इला च तेजो  रेतोधा विष्णुरंरुतस्य नाभि: ||

            इदन्ते अन्याभिरसमानमद्भि: या: काश्च सिन्धुं प्रविशन्याप: |

    सर्पो जीर्नामिव त्वं जहामि पापं सष्सरीरस्कोभ्युपेत्य ||

द्वौ समुद्रौ ..................... सेतुनातियन्त्यन्यं

(3 काण्ड:, 2 पञ्चात्, 2 अनुवाक:)

 

रामेण याकृता रेखा धनुषा क्षारसागरे |

मुक्तिस्तद्दर्शनादेव न जाने स्नानाजं फलम् ||

रघुवीरपदन्यास पवित्रीकृतपांसवे |

दशकण्ठशिरच्छेदहेतवे सेनवे नम: ||

केतवे रामचन्द्रस्य मोक्षमार्गकहेतवे |

सीताया मानसाभोज भानवे सेतवे नम: ||

इत्यादि पठन् स्नानं कुर्यात् | अनन्तरं

“समुद्रस्नानाङ्गं दशतर्पणं करिष्ये” इति संकल्प्य

1) पिप्पलं तर्पयामि     2) कविं .......       3) कण्वं ............

  4) कृतान्तं ........      5) जीविकेश्वरं ......  6) मन्युं ............

  7) कालरात्रिं ........      8) विद्यां ..........    9) अहस् ...........

  10) गणेश्वरं ...........

பிறகு நாம் கொண்டு சென்றுள்ள ஜலத்தில் ச்நானாங்க தேவ-ரிஷி தர்ப்பணம் செய்ய வேண்டும். பிறகு வஸ்த்ரம், ஊர்த்வ புண்ட்ரங்களை தரித்துக் கொண்டு “संकल्पितेषु द्वितीयस्नानं करिष्ये” என்று சங்கல்பித்துக் கொண்டு எத்தனை ஸ்நானம் உத்தேசிக்கப் பட்டுள்ளதோ அத்தனை ஸ்நானம் பண்ண வேண்டும். ஒரு நாளில் 12 ஸ்நானம் தான் செய்ய முடியும். மூன்று நாட்கள் இருந்தால் 36 ஸ்நானம் செய்ய இயலும்.


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#சமுத்திரத்தில் ஸ்நானம் செய்யும் முறை  #சமுத்திர ஸ்நான விதி

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#தர்ப்ப_சயன_ராமன் 

Srimad Vedanta Desika Stotras

 श्रीमते श्रीवेदान्त महागुरवे नम:

श्रीमते श्रीरामानुजाय नम:

Stotras rendered by Villiampakkam Dr Govindarajan

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வில்லியம்பாக்கம் முனைவர் கோவிந்தராஜன் பாராயணம் செய்த ஸ்தோத்ர பாடங்கள்

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#Desika_stotras

#Stotras

 1) Veda Satrumurai                          Click here

                  Stotras Composed by Purvacharyas

1) Sri Samkshepa Ramayanam      Click here

2) Sri Saranagathi Gadyam            -  Click here

Stotras Composed by Srimad Vedanta Desikan

1) Swami Vedanta Desikan Charitham    -  Click here  (Low voic

2) Sri Hayagriva Stotram               -  Click here

3) Sri Raghuveera Gadyam            -  Click here

4) Sri Kamasikashtakam                -  Click here

5) Sri Paramartha stuti                   -  Click here

6) Sri Ashtabhujashtakam              -  Click here

7) Sri 


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1) Sri Ramaraksha Stotram                    Click here

2) "Swami Vedanta Desikan Tirumanjana Gattiyam" composed by Asmad Acharyan Madurantakam Swami Sri U.Ve Veera Raghavarya Mahadesikan                                          Click here

3) Sri Ashtalakshmi Stotram                  Click here

4) Sri Dasavathara Stotram                    Click here

5) Sri Lakshmi Narayana Ashtakam      Click here

6) Sri Venkatesa Mangalam                   Click here

7) Sri Raghavarya Mahadesikan Mangalam      Click here

Upanyasams

Links to the Upanyasams performed by

 Villiampakkam Dr. V.C. Govindarajan


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1) Sri Sita Kalyanam ஸ்ரீசீதா கல்யாணம்   Part 1 

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2) Sri Sita Kalyanam ஸ்ரீசீதா கல்யாணம்   Part 2

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3) Sri Vibheeshana Saranagathi Upanysam by Ghanapati Villiampakkam Sri. UVe Raghavachariar 

    ஸ்ரீ விபீஷண சரணாகதி உபன்யாசம் வழங்குபவர் கனபாடி வில்லியம்பாக்கம் ஸ்ரீஉவே ராகவாச்சாரியார்.

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4) Sri Andal Neeraattam ஸ்ரீஆண்டாள் நீராட்டம்  

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5) Sri Ramanin villum sollum 

    ராமனின் வில்லும் சொல்லும் - உபன்யாசம் 

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6) Sri Ramanin villum sollum 

    ராமனின் வில்லும் சொல்லும் - உபன்யாசம் 

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7) Sri Andal's Paamaalaiyum Poomalaiyum 

    ஸ்ரீஆண்டாள் நாச்சியாரின் 

    "பாமாலையும் பூமாலையும்"

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8) Upanayana Samskaram  உபநயன சம்ஸ்காரம்

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9) தமிழ் வளர்ச்சியில் வைணவம்   Click here


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